हैज़ और निफ़ास की हालत में वती (संभोग) हराम है
अपनी बीवी किन-किन हालात में हराम होती है? और अगर किसी ने नादानी में हैज़ की हालत में शहवत (संभोग) कर लिया हो तो उसका क्या हुक्म है?
जनाब अब्दुल मजीद साहब पोस्ट बॉक्स 15489, रियाद, सऊदी अरब
अल-जवाब
हैज़ और निफ़ास के दिनों में औरत से सहवास (संभोग) हराम है। अगर किसी ने सहवास कर लिया तो वह गुनहगार हुआ, और उस पर तौबा करना फ़र्ज़ है।
क़ुरआन मजीद में है:
وَيَسْأَلُونَكَ عَنِ الْمَحِيضِ ۚ قُلْ هُوَ أَذًى ۚ فَاعْتَزِلُوا النِّسَاءَ فِي الْمَحِيضِ
(और वे आप से हैज़ के बारे में पूछते हैं। कह दीजिए: वह तकलीफ़ की हालत है, इसलिए हैज़ की हालत में औरतों से अलग रहो।)
अगर हैज़ के शुरुआती दिनों में सहवास किया तो एक दीनार और आख़िरी दिनों के क़रीब किया तो आधे दीनार का सदक़ा देना मुस्तहब है।
एक दीनार साढ़े तीन माशा सोना होता है।
सहवास के अलावा दूसरे काम जायज़ हैं, जैसे चूमना और लिपटना; लेकिन नाफ़ से लेकर घुटनों तक जिस्म का कोई भी हिस्सा बिना ऐसे मोटे कपड़े के जायज़ नहीं जिससे जिस्म की गर्मी महसूस न हो।
और अगर कपड़ा बहुत बारीक हो कि जिस्म की गर्मी महसूस हो, तो वह जायज़ नहीं होगा।
बाक़ी जिस्म के हर हिस्से को जैसे चाहे छू सकता है, चाहे कोई कपड़ा भी हाइल न हो।
(हवाला: फ़तावा हाफ़िज़-ए-मिल्लत, जिल्द 2, सफ़्हा नंबर 96–97)
वल्लाहु तआला अअलम
कत्बा: मुहम्मद निज़ामुद्दीन रज़वी 4 रजबुल मुरज्जब, 1408 हिजरी
