आयतल कुर्सी की फजीलत हदीस की रौशनी में ?

          


 आयतल कुर्सी

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ⓩ मुस्लिम शरीफ की हदीसे पाक है कि क़ुर्आन की आयतों में सबसे अज़मत वाली आयत आयतल कुर्सी है, इसके बेशुमार फज़ायल हैं चन्द यहां ज़िक्र करता हूं

(1). मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जो शख्स हर फर्ज़ नमाज़ के बाद आयतल कुर्सी पढ़ेगा तो वो मरते ही फौरन जन्नत में दाखिल होगा

📕 मिश्कात, जिल्द 1, सफह 89

(2). जो कोई जुमा के दिन बाद नमाजे अस्र 313 बार आयतल कुर्सी पढ़े तो ऐसी खैरो बरकत हासिल हो कि क़यास में ना आये और जो कोई हर फर्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ता रहे तो मौला तआला उसे शाकिरों का क़ल्ब सिद्दीक़ों का अमल और अम्बिया का सवाब अता फरमायेगा और उसको जन्नत में दाखिल होने से कोई चीज़ माने नहीं यानि मरते ही फौरन जन्नत में जायेगा 

📕 वज़ाइफे रज़वियह, सफह 131

(3). अगर मकान में ऊंची जगह कुंदा करदे तो उसके घर में कभी फाक़ा ना होगा रिज़्क़ में खूब बरकत होगी और ना ही कभी उसके घर चोरी होगी

📕 जन्नती ज़ेवर, सफह 460

(4). कोई भी हाजत हो तो बाद नमाज़े फज्र सलाम फेरने के फौरन बाद उसी तरह बैठे बैठे 25 बार और मग़रिब बाद उसी तरह 8 बार आयतल कुर्सी पढ़े इन शा अल्लाह बहुत जल्द मुराद पायेगा बलगम अगर सीने पर जमा हो गया हो तो सुबह नमक की 7 कंकरियों पर 7-7 बार पढ़कर दम करके खा लें मर्ज़ से इज़ाला होगा दिमाग की तेज़ी के लिए चीनी की प्लेट पर लिखकर धोकर पियें

📕 आमाले रज़ा, हिस्सा 3, सफह 42-45

(5). अपनी अपने घर की अपने अहलो अयाल की जानो माल इज़्ज़त आबरू की हिफाज़त के लिए सुबह शाम पढ़कर उन पर दम करता रहे, और रात को अव्वल आखिर दरूद शरीफ और 1 बार आयतल कुर्सी पढ़कर खुद पर व घर के तमाम अफराद पर और घर के चारो कोनों पर दम करदे तो सबकी हिफाज़त की ज़िम्मेदारी रब की यहां तक कि उसका घर ही नहीं बल्कि आस पड़ोस के घर भी चोरी से महफूज़ हो जायेंगे इन शा अल्लाह तआला

📕 अलवज़ीफतुल करीमा, सफह 21

ⓩ दम करने के लिए सबका सामने होना कुछ ज़रूरी नहीं बस तसव्वुर करके दम कर दें युंही पूरे घर का तसव्वुर करके दम करें, आयतल कुर्सी की फज़ीलत में ये रिवायत पढ़िये और एक बहुत काम का मसअला भी समझ लीजिये

(6). एक मर्तबा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को सदक़ये फित्र की हिफाज़त के लिए मुक़र्रर किया, एक रात आपने देखा कि एक चोर चंद बोरियां उठाए लिए जा रहा है आपने उसे पकड़ लिया जिस पर वो रोने लगा कि मैं बहुत ग़रीब आदमी हूं मुझे जाने दीजिये हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का दिल पिघल गया और आपने उसे छोड़ दिया, दूसरे दिन जब सरकार सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से मुलाक़ात हुई तो मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम खुद ही इरशाद फरमाते हैं कि ऐ अबू हुरैरह रात वाले चोर का क्या किया, इस पर वो फरमाते हैं कि मुझे रहम आ गया और मैंने उसे जाने दिया तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि वो झूठा है आज फिर आयेगा होशियार रहना, रात को फिर वही चोर आया और पकड़ा गया इस बार फिर उसने रो रोकर दुहाई दी तो फिर से हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को उस पर रहम आ गया और उसे जाने दिया, फिर दूसरे दिन सरकार ने पूछा कि उस चोर का क्या किया तो वो बोले कि उसने अपनी मोहताजी की शिकायत की तो मैंने उसे छोड़ दिया फिर आक़ा फरमाते हैं कि वो झूठा है आज फिर आयेगा रात को फिर वही आया और फिर से पकड़ा गया अब हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा कि आज तो मैं तुझे हरगिज़ नहीं छोड़ूंगा जब चोर ने जान लिया कि आज निकलना मुश्किल है तो कहने लगा कि अगर आप मुझे छोड़ने का वादा करें तो मैं आपको एक बहुत इल्म वाली बात बताऊं इस पर हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तैयार हो गए तो वो बोला कि जब भी आप सोने को बिस्तर पर जाओ तो आयतल कुर्सी पढ़ लिया करो कि इससे अल्लाह तुम्हारी रात भर हिफाज़त फरमायेगा और शैतान तुम्हारे नज़दीक नहीं आ पायेगा ये सुनकर हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु बहुत खुश हुए और उसे छोड़ दिया सुबह को रात का सारा वाक़िया आपने हुज़ूर को बताया तो मेरे आक़ा इरशाद फरमाते हैं कि बात तो उसने सच्ची कही मगर है वो बहुत बड़ा झूठा जो पिछली तीन रातों से तुम्हारे पास चोर बनकर आ रहा था वो कोई और नहीं बल्कि इब्लीस था

📕 मिश्कात जिल्द 1 सफह 177

ⓩ जैसा कि आपने पढ़ लिया कि हर अच्छी बात करने वाला व नेकी की दावत देने वाला अच्छा ही हो ये कोई ज़रूरी नहीं क्योंकि नेकी की दावत देना सिर्फ मुसलमान ही नहीं करते बल्कि ज़रूरत पड़ने पर शैतान और उसके चेले भी नेकियों की दावत दिया करते हैं मगर इसमें उनका छुपा हुआ मक़सद कुछ और ही होता है, जैसा कि आजकल के बद अक़ीदे वहाबियों का मामूल बन चुका है कि झोला झप्पड़ टांग कर मस्जिदों को नजासत आलूद करने और मुसलमानों का इमान बर्बाद करने के लिए निकल पड़ते हैं, बज़ाहिर तो वो नेकियों की दावत देते हुए दिखाई देते हैं मगर उनका मक़सद सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों को गुमराह करना और काफिर बनाना है लिहाज़ा ऐसों से दूर रहने में ही ईमान की भलाई है

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कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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