ब वक़्ते रुख़सत व मुलाक़ात बोसा देना



सवाल औरत को औरत के चेहरा पर ब वक़्ते रुख़सत व मुलाक़ात बोसा देना (यानी चूमना) कैसा है

अल जवाब ब वक़्ते रुख़सत व मुलाक़ात औरत को औरत के मुंह और गाल वगैरह को चूमना मकरूहे तहरीमी है

तन्वीरुल अबसार मअ् दुर्रे मुख़्तार में है

و كره تحريما قهستاني تقبيل الرجل فم الرجل او يده او شيا منه و كذا تقبيل المراة المراة عند لقاء او داع


📘 तन्वीरुल अबसार मअ् दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफ़ह 530)

हां अगर नियत हसन (अच्छी) हो तो जाइज़ है

जैसा कि इसी दुर्रे मुख़्तार में है

यानी जिस तरह फ़क़ीह (यानी सबसे बड़े आलिम) के चेहरे को चूमना जाइज़ है, हां अदम जवाज़ (यानी नाजाइज़ का हुक्म) इस सूरत में है, जबकि बा शहवत हो

और बहारे शरिअत में है

औरत ने औरत के मुंह या रुख़सार को बवक़्ते मुलाक़ात या व वक़्ते रुख़सत बोसा दिया मकरूह है

📚 बहारे शरिअत जिल्द 3 सफ़ह 472)

जानलो के बोसा की 6, किस्में हैं

1- बोसा ए रहमत जैसे वालिदैन का औलाद को बोसा देना

2- बोसा ए सफ़क़त, जैसे औलाद का वालिदैन को बोसा देना

3- बोसा ए मुहब्बत, जैसे एक शख़्स अपने भाई की पेशानी को बोसा दे

4- बोसा ए तहयत, जैसे बवक़्ते मुलाक़ात एक मुस्लिम दूसरे मुस्लिम को बोसा दे

5- बोसा ए शहवत, जैसे मर्द औरत को बोसा दे

6- बोसा ए दयानत जैसे हजरे असवद को बोसा देना

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह.113--114)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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