क्या दाहिनी जानिब से इक़ामत कहना ज़रुरी है?

सवाल क्या दाहिनी जानिब से इक़ामत कहना ज़रुरी है?

जवाब आजकल यह ज़रुरी ख़्याल क्या जाता है के इकामत या तकबीर जो जमाअत क़ाइम करने से पहले मुअज़्ज़िन लोग पढ़ते हैं उस में पढ़ने वाला इमाम के पीछे या दाहिनी तरफ हो और बायें जानिब खड़े हो कर तकबीर पढ़ने को ममनूअ ख्याल करते हैं हालांके तकबीर बायीं तरफ़ से पढ़ना भी मना नहीं है सय्यिदी आला हज़रत फरमाते हैं कि

और इक़ामत की निसबत भी तअय्युने जेहत के दाहिनी तरफ़ हो या बाईं तरफ फक़ीर की नज़र से न गुज़री हां इस क़दर कह सकते हैं के मुहाज़ात इमाम फिर जानिबे रास्त मुनासिब तर है

📚फतावा रज़वियह शरीफ जिल्द 2 सफह 465

📗ब-ह़वाला गलत फहमियां और उनकी इस्लाह़ सफह 34

खुलासा यह के इमाम के पीछे या दाहिनी तरफ़ से पढ़ना ज़्यादा बेहतर है लेकिन बाईं तरफ से भी जायज़ है, फक्त वस्सालाम

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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