सुन्नतें मुअक्किदा और गैर मुअक्किदा मे फर्क़


सवाल हमारे एक दोस्त आज कहने लगे के असर की सुन्नतों में या इसी तरह जो 4 रकअत वाली गैर मुअक्किदा सुन्नतें है जैसे इशा की फर्ज़ से पहले वाली 4 रकअत सुन्नत उस में क़अदा ए उला में जो 2 रकअत पर बैठते हैं उस में अत्तहिय्यात और दुरुद शरीफ भी पढ़ना चाहिए और जब तीसरी रकअत के लिए उठें तो सना और अउज़ु बिल्लाह पूरी पढ़नी चाहिए क्या ये सही है जवाब इनायत करें?

जवाब असर की नमाज़ के फर्ज़ के पहले जो 4 रकअत हैं वो सुन्नते गैरे मुअक्किदा हैं- उन चारों रकअत को एक सलाम से पढ़ना चाहिए और 2 रकअत के बाद क़अदा ए उला करना चाहिए और क़अदा ए उला में अत्तहिय्यात के बाद दुरुद शरीफ भी पढ़ना चाहिए और तीसरी रकअत के लिए खड़ा हो तो सना यानि सुब्ह़ाना कल्लाहुम्मा पूरी और तअव्वुज़ यानि अऊज़ु बिल्लाह पूरा पढ़ना चाहिए- कियोंके सुन्नते गैर मुअक्किदा मिस्ल नफ्ल है और नफ्ल नमाज़ का हर क़अदा मिस्ले क़अदा ए आखिरा है लिहाज़ा हर क़अदा में अत्तहिय्यात और दुरुद शरीफ पढ़ना चाहिए और पहले क़अदा के बाद वाली तीसरी रकात के शुरू में सना और अउज़ु बिल्लाह पूरा पढ़ना चाहिए और हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरत भी मिलाना चाहिए

📚मोमिन की नमाज़ सफह 123📚बहारे शरीयत जिल्द 4 सफह 15📚फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 3 सफह 469📚दुर्रे मुख़्तार

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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