अपने शौहर के सामने दूसरी औरत की तारीफ़ करना कैसा है


सवाल अपने शौहर के सामने दूसरी औरत का हाल बयान करना यानी उसकी तारीफ़ करना कैसा है

अल जवाब औरत को अपने शौहर के सामने किसी दूसरी औरत का हाल बयान करना उसकी तारीफ़ व तौसीफ़ करना मना है

हदीसे पाक सही बुखारी व मुस्लिम में है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है कि रसूले करीम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

ऐसा न हो कि एक औरत दूसरी औरत के साथ रहे, फिर अपने शौहर के सामने उसका हाल बयान करे गोया यह उसे देख रहा है

📗 बुखारी किताबुन्निकाह जिल्द 02 सफ़ह 788)

इस हदीसे पाक से मालूम हुआ कि जब एक औरत दूसरी औरत के साथ रहे तो अपने शौहर के सामने आकर उसकी हुस्न व ख़ूबसूरती सेहत व तंदुरुस्ती बनाव सिंगार को बयान ना करे इसलिए के अव्वलन तो उसकी मुमानत है, और दूसरी वजह यह है कि उससे बिला वजह फ़ित्ना व फ़साद होगा और बुराई होगी और यह अंदेशा है कि शौहर के दिल से बीवी की मोहब्बत खत्म हो जाए और उस दूसरी की मुहब्बत पैदा हो जाए चुनाचे अगर देखा जाए तो इसकी कई वुजूहात हो सकती हैं, जिनकी बिना पर शौहर के सामने दूसरी ग़ैर औरत की तारीफ़ व तौसीफ़ से मना किया गया है

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 97--98)

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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