क्या आस्तानों पर क़व्वाली होती है क्या ये जाइज़ है

सवाल  एक सवाल है के जो आस्तानों पर क़व्वाली होती है क्या ये जाइज़ है

(मुहम्मद दानिश खान)

जवाब  अगर मज़ामीर यानि,Music,का इस्तेमाल होता है तो यक़ीनन ह़राम है और ऐसा करने वाला सुनने वाला और हाज़रीन सब फासिक़ हैं अगर किसी पीर की इजाज़त, से ऐसा होता है तो वह भी फासिक़ है,ना वह पीर कहलाने के लायक़ है और ना उस से बैयत होना जाइज़ है, हाँ यूंही अगर लोग बग़ैर मज़ामीर के कोई ऐसा शेर पढ़ें जिस में कराहत ना हो तो बिलकुल जाइज़ है

📚 अलमलफूज़,हिस्सा 2 सफह 106

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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