सवाल कुछ बुजुर्ग हज़रात मस्जिद में कुर्सी पर बैठकर नमाज़ पढ़ते हैं जबकि वो चल सकते हैं मगर ज्यादा देर खड़े नहीं रह सकते तो क्या वो बैठकर नमाज पढ़ सकते हैं
जवाब हुज़ूर ताजुश्शरिअह अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं चलकर अगर खड़े होने पर कादिर है तो उस पर फ़र्ज़ है कि खड़े होकर वो तकबीरे तहरीमा कहे और जब तक खड़ा रह सकता है वो खड़ा रहे फिर उसको बैठने की इजाज़त है जिस तौर पर आसानी से वो ज़मीन पर बैठ सकता है बैठकर वो नमाज़ पढ़े कुर्सी पर बैठना, ये सख्त महले नज़र है कुर्सी का इस्तेमाल इस ग़रज़ के लिए नाजाइज़ है और ये चंद वजूह से एक तो ये जमाअत की जगह घेरना है और जमाअत की जगह इस तौर पर घेरना उससे तक़रीज़े जमाअत है ये नाजाइज़ है और फिर इसमें क़तअ सफ़ भी है यानी एक तो कुर्सी है जो सफ़ को मुनक़ते करती है फिर उस पर साहिब नमाज़ पढ़ रहे हैं वो अगरचे बज़ाहिर नमाज़ी हैं लेकिन दरअसल वो हक़ीक़तन नमाज़ी नहीं हैं उनकी नमाज़ नमाज़ नहीं है इसलिए कि जब वो चल सकते हैं अब कुर्सी पर बैठकर नमाज़ पढ़ रहे हैं तो एक तो क़याम छोड़ा यूं नमाज़ गई और अगर क़याम कर भी लिया और कुर्सी पर बैठकर अब सजदा किया इशारे से तो जो ज़मीन पर पेशानी रखकर सजदा कर सकता है उसका इशारे से सजदा करना सही नहीं इन दोनों सूरतों मैं कुर्सी पर बैठने वालों की नमाज़ सही नहीं होती कुर्सी का इस्तेमाल सख्त महलले नज़र है अल्लाह तबारक व तआला लोगों को तौफ़ीक़ दे कि वो अपनी इबादतों को रायग़ां न करें और इबादतों के अहकाम जानें और सही तौर पर अल्लाह तबारक व तआला की इबादत करें
📗 फ़िक़्ही मजालिस हिस्सा 01 सफ़ह 109)
अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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