काफिर नें कलिमां पढ़ा मगर इक़रार नहीं किया तो क्या हुक्म है


सवाल 

अगर क़ाज़ी के सामने काफिर नें कलिमां पढ़ा मगर अपने मुसलमान होने का इज़हार नहीं किया तो क्या उसको मुसलमान माना जाएगा

जवाब 

अगर दो मुसलमानों के सामने कलिमा पढ़ा तो वो मुसलमान है अगर चे किसी पर ज़ाहिर ना करे हां मगर अपने कुफ्रिया अक़ाइद व आमाल से बेज़ार रहे वरना इस्लाम से फिरा तो मआज़ अल्लाह मुर्तद के हुक्म में होगा

वल्लाह आलमु बिस्वास 

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने