मर्द और औरतों का एक दूसरे की मुशाबहत करना


मर्द और औरतों का एक दूसरे की मुशाबहत करना

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आजकल मर्दों में औरतों की और औरतों में मर्दो की मुशाबहत इख़्तियार करने और उनके अन्दाज़ व लिबास व चाल ढाल अपनाने का मर्ज़ पैदा हो गया है हालाँकि हदीसे पाक में ऐसे लोगों पर रसूलुल्लाह ने लानत फ़रमाई है जो मर्द होकर औरतों की और औरत होकर मर्दो की वज़अ कता अपनायें 

एक हदीस में है कि हुजूर ने फ़रमाया कि हमारे गिरोह से नहीं वह औरत जो मर्दाना रखरखाव अपनाये और वह मर्द जो ज़नाना ढंग इख़्तियार करे

अबू दाऊद की हदीस में है कि एक औरत के बारे में सय्यिदा आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा को बताया गया कि वह मर्दाना जूता पहनती है तो उन्होंने फ़रमाया कि रसूलुल्लाह ने मर्दानी औरतों पर लानत फ़रमाई है खुलासा यह है कि जो वज़अ कतझ रखरखाव लिबास वगैरह मर्दो के साथ ख़ास हों उनको औरतें न अपनायें और जो औरतों के साथ ख़ास हो उसको मर्द न अपनायें । आजकल कुछ औरतें मर्दो की तरह बाल कटवाने लगी हैं यह उनके लिए हराम है और यह मरने के बाद सख़्त अज़ाब पायेंगी । ऐसे ही कुछ मर्द औरतों की तरह बाल बढ़ाते हैं सूफ़ी बनने के लिए लम्बी लम्बी लटें रखते हैं, चोटियाँ गूंधते और जूड़े बना लेते हैं ये सब नाजाइज़ व ख़िलाफ़े शरअ है । तसव्वुफ़ और फ़कीरी बाल बढ़ाने और रंगे कपड़े पहनने का नाम नहीं बल्कि रसूलुल्लाह की सच्ची पैरवी करना और ख्वाहिशाते नफ़्सानी को मारने का नाम है

📚 (बहारे शरीअत हिस्सा १६ सफा १६८)

📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 162)

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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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