छींक आने पर अलहम्दोलिल्लाह क्यों पढ़ा जाता है ?


सवाल छींक क्या है और यह क्यों आती है और इस पर अलहम्दोलिल्लाह क्यों पढ़ा जाता है ? 

जवाब इंसान हो कि जानवर छोटा हो या बड़ा सभी के दिल में खून गर्दिश करता है और साफ होकर दिल से तमाम रगों में पहुंचता है! जब खून में कोई कारबन यानी कि कचरा आ जाता है तो दिल में खून पहुंचने में रुकावट आ जाती है जिसकी वजह से पल भर के लिये दिल की धड़कन में भी रुकावट आ जाती है और फिर छींक आने पर झटके के साथ खून वापस चल देता है कारबन दूर हो जाता है और फिर से एक लम्हे के बाद दिल की धड़कन शुरू हो जाती है! अगर छींक न आये तो आदमी की दिल की धड़कन रुक जाये और इंसान की मौत वाकेय हो जाये यह छींक आना धड़कन लम्हा भर को रोककर वापस शुरू होना कुदरत के हाथ की बात हैं इंसान के बस की बात नहीं! इसलिये छींक आने पर अल्लाह तआला का यह लफ्ज़ बोलकर शुक्र व एहसान अदा किया जाता है! एक जर्मन साइंस दां रोडलफ ने इस पर रिसर्च किया तो उसने भी यही कहा जो मैंने लिखा दुनिया के बहुत से साइंस दानों ने सुन्नते नबवी पर रिसर्च किया तो उन्होंने बर मला एतेराफ किया कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हर बात में कोई न कोई साइंसी पहलू छुपा हुआ है मैं दावे के साथ कहता हूं कि दुनिया अगर सुन्नते नबवी और आपकी तालीमात पर रिसर्च करे तो साइंस की हर नई तहकीक और रिसर्च में इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की तालीमात सबके लिये रहबर व रहनुमा साबित होगा

(📚 क़िताब हमसे पूछिये सफ़ह नः 14 / 15)

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने