नमाज़ में कोहनियां खुली रखना कैसा है ?


 नमाज़ मै कोहनियां खुली रखना ?

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बिला मजबूरी कोहनियां खोलकर जैसे आज कल आधी आस्तीन की शर्ट पहनकर कुछ लोग नमाज़ अदा करते हैं ये मकरूह है

📚 फतावा रज़विया जिल्द 3 सफ़्हा नंबर 416 देखें

और जो लोग आस्तीन चढ़ा कर (यानि फ़ोल्ड करके) और कोहनियां खोलकर नमाज़ अदा करते हैं,,उन पर दो गुनाह होते हैं। एक कपड़ा समेटने और चढ़ाने का और दूसरा कोहनियां खुली रखने का, क्योंकि नमाज़ मै कपड़ा चढ़ाना (यानि मोड़ना/या हाथो से पकड़ कर ऊपर करना) मना है, जैसे कुछ लोग सजदे मै जाते वक़्त पैजामे के पाएंचे को पकड़कर चढ़ाते हैं ये भी नाजायज़ और गुनाह है, इस किस्म के नमाज़ियों को प्यार और मुहब्बत से समझते रहना चाहिए, या बजाये एक-एक को रोकने और टोकने के सबको इकठ्ठा करके मसला समझा देना चाहिए, ताकि कोई अपनी तौहीन महसूस न करे। क्योंकि आज कल दीनी बातों पर टोका जाये तो लोगों मै तौहीन महसूस करने की बीमारी पैदा हो गयी है

📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 49)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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