माहे रमज़ान मे हमबिस्तरी करना कैसा

 


क्या माहे रमजान की रातों में शौहर और बीवी का हमबिस्तर होना गुनाह है?

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अवाम में कुछ लोग ऐसा ख्याल करते हैं हालांकि यह उनकी गलतफहमी है । माहे रमज़ान में इफ़्तार के वक़्त से सहरी तक रात में जिस तरह खाना पीना जाइज़ है , उसी तरह बीवी और शौहर का हमबिस्तर होना और सुहबत व मुजामअत बिला शक जाइज़ है और बकसरत अहादीस से साबित है बल्कि कुरआन शरीफ में खास इसकी इजाज़त के लिए आयते करीमा नाज़िल फरमाए गई 

इरशादे बारी तआला है

तर्जमा >तुम्हारे लिए रोज़े की रातों में औरतों से सुहबत हलाल की गई वह तुम्हारे लिए लिबास है तुम उनके लिए लिबास ।

( पारा 2 , रूकू 7)


📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 71)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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