गैर मुस्लिम की तेरहवीं मे जाना कैसा है

 


सवाल

किसी गैर मुस्लिम के मरने के बाद उसके घर वाले दसवां या तेरहवां करते हैं तो मुसलमानों को उसका खाना कैसा है? और जो खाये उसपर क्या हुक्मे शरअ है

जवाब


इसी तरह के एक सवाल के जवाब में हुज़ूर मुफ्ती अख्तर हुसैन क़ादरी साहब क़िब्ला तह़रीर फरमाते हैं कि

अगर हिन्दू की मरनी खाने जाने वालों की नियत ये हो कि उसे सवाब पहुंचेगा तो ये कुफ्र है- सरकारे आला ह़ज़रत तह़रीर फरमाते हैं के काफिर की क़ब्र की ज़्यारत ह़राम और उसे इसाले सवाल का क़स्द कुफ्र है- ऐसी सूरत में जितने मुसलमान खाना खाने गए और नियत इसाले सवाब की तो इन सब पर तोबा व इस्तिग़फार तजदीदे ईमान व तजदीदे निकाह़ लाज़िम है, और अगर नियत इसाले सवाब नहीं की बल्कि किसी दुन्यावी गर्ज़ से चले गए तो तोबा व इस्तिग़फार लाज़िम और आइंदा ऐसी हरकत से परहेज़ ज़रुरी है

📚 फतावा इल्मिया जिल्द 1 सफह 347

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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