वजु कर के हाथ पोछना कैसा नेज क्या वो पानी नापाक होता है



 ✿➺ सवाल



भाई वजू कर के जो अपपन जनमाज़ पर नमाज़ पढ़ते है तो जनमाज़ के उपर पानी भी लगता है तो मेने सुना है के बजू का पानी पाक नही होता ये ठीक है और अगर अपपन पौछले तो भी नही पौच्छना बोल के सुना था वजू कर के नही पौचना ज़रा बोलो आप ?


❀➺ जवाब


वजु का पानी पाक है जनमाज़ या कपड़े पर लगेगा तो नापाक नही करेगा, और जिससे पानी को आपने नापाक सुना बोलके वो गलतिच पर है, अब रहा ये की अपपन लोग जो वज़ु करके हाथ मुंह खुश्क करते, वैसा करना चाहिए की नही तो बेहतर ये है की पूरी तरह खुश्क ना करे, बल्कि पानी की तरी रहने दे, हदीस मे आया की “मेरे उम्मतीओ के आज़ा, वज़ु की वजह से सफेद होंगे" और मुफ़्ती अमजद अली साहिब वजु को पोछने को मना किए बोलके


📗बहारे शरीअत बाबुल वूजु जिल्द:1, सफा:300 पर है आज़ा ए वजु बग़ैर ज़रूरत ना पोछे और पोछे तो बेज़रूरत पूरा खुश्क ना करे. और इसी तरह आलाहज़रत भी अपपन सुन्नी लोगा को वज़ का पानी खुश्क करने से मना किए बोलके


📗फतावा रज़वीय्या, जिल्द:1, सफा:317 पर है बेहतर ये है की बे-ज़रूरत ना पोछे और और पोछे तो बे-ज़रूरत बिल्कुल खुश्क ना करले कद्रे नम बाक़ी रहने दे, हदीसे-पाक मे है की (ये पानी क़ियामत मे नेकी के पल्ले में रखा जाएगा) मगर, अगर मस्जिद मे नमाज़ के लिए जाना हो तो ज़रूर पानी को इतना खुश्क करे की मस्जिद मे इसके क़तरे ना गिरे की ये गुनाह है

इसी तरह फतावा रज़वीय्या जिल्द:4, सफा:338 पर है मस्जिद मे उनका गिराना जाइज़ नही, बदन इतना पोछ कर की क़तरे ना गिरे, मस्जिद में दाखिल हो



📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.63

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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