नमाज़ मै दाहिने (Right) पैर का अंगूठा सरकने का मसला ?
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आमतौर से गांव देहातों मै इसको बहुत बुरा जानते हैं, यहाँ तक कि नमाज़ मै दाहिने पैर का अंगूठा अगर थोड़ा बहुत सरक जाये तो नमाज़ न होने का हुक्म लगा देते हैं
बाअज़ लोग इस अंगूठे को नमाज़ की किलयां, या खूंटा कहते भी सुने गए हैं।
ये सब जाहिलाना बातें हैं, किसी भी पैर का अंगूठा सरक जाने से नमाज़ मै कोई कमी नहीं आती। हां बिला वजह नमाज़ मै "क़सदन" (जानबूझकर) कोई हरकत करना (जैसे: हाथ पैर इधर उधर चलना, निगाह इधर उधर करना वग़ैरह), ख्वाह (चाहें) जिस्म के किसी हिस्से से हो, अबस और मकरुह है
हज़रत अल्लामा मुफ़्ती जलालुद्दीन साहब किब्ला अमजदी फ़रमाते हैं.......दाहिने पैर का अंगूठा अपनी जगह से हट गया तो कोई हर्ज नहीं, हां मुक्तदी (इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाले) का अंगूठा दाहिने या बाईं (Left Right) आगे या पीछे इतना हटा कि जिस से सफ़ मै कुशादगी पैदा हो या सीना बहार निकले तो मकरुह है (अलख)
📚 (फ़तावा फैज़ुर् रसूल, जिल्द 1, सफ़्हा 370)
खुलासा ये कि अवाम मै जो मशहूर है कि, नमाज़ मै दाहिने पैर का अंगूठा अगर ज़रा सा भी सरक गया तो नमाज़ नहीं होगी, ये उनकी जिहालत है, और ग़लत फ़हमी है।
📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 30,31)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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