मुक़तदि के सर पर इमामा हो और इमाम के न हो तो नमाज़ का क्या हुक्म है ?


 
मुक़तदि के सर पर इमामा हो और इमाम के न हो तो नमाज़ का क्या हुक्म है ?
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अगर मुक्तदी सर पर इमामा (जिसे साफ़ा और पगड़ी भी कहते हैं) बांधकर नमाज़ पढ़े, और इमाम के सर पर पगड़ी ना हो तो उसको कुछ लोग बहुत बुरा जानते हैं,, बल्कि बाअज़ यह समझते हैं कि इस सूरत में मुक्तदी की नमाज़ दुरुस्त नहीं हुई।.....यह ग़लत बात है, अगर इमाम के सर पर पगड़ी ना हो और मुक्तदी के हो तो मुक्तदी की नमाज़ दुरुस्त और सही हो जाएगी। "आला हज़रत रदियल्लाहु ताला अन्हु से यह मसला मालूम किया गया तो फ़रमाया बिला तकल्लुफ़ दुरुस्त है

📚 (फ़तावा रिज़विया, जिल्द 3, सफ़्हा 273
📚(इरफ़ान-ए-शरीअत, सफ़्हा 4,)



📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 41)

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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