क्या औरत आवाज़ में कुरआन शरीफ की तिलावत नहीं कर सकती ?

 


✿➺ सवाल



क्या औरत आवाज़ में कुरआन शरीफ की तिलावत नहीं कर सकती ?


❀➺ जवाब


कुरआन की तिलावत आवाज़ के साथ ही करनी चाहिए, और कम से कम इतनी आवाज़ जो खुद के कान तक आ सके, और औरत को इतनी आवाज़ से कुरआन पढ़ना जाइज़ नही की उसकी आवाज़ ग़ैर मर्द के कानो तक जाए


📗इसी तरह मीरात उल मनाज़ी शरह मिश्कातुल मसाहबिह, जिल्द:6, सफा:445 पर है

औरत को अज़ान देना, तकबीर कहना, खुश-इल्हानी (अच्छी आवाज़) से अज्नबियो के सामने तिलावते कुरआन करना सब मना है, औरत की आवाज़ भी मित्र है


📗मीरात उल मनाज़ी शरह मिश्कातुल मसाहबिह, जिल्द: 8 सफह : 59 पर है


जो औरत कारिया हो वो भी अपनी किराअत औरतो को सुनाए, मर्दो को ना सुनाए, क्यूंकी औरत की आवाज़ का भी पर्दा है।


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.64

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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