लैटरीन में किब्ले की तरफ मुँह या पीठ करना कैसा ?

 लैटरीन में किब्ले की तरफ मुँह या पीठ करना?



हदीश शरीफ में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम ने इरशाद फरमाया जब तुम मे से कोई रफए हाजत करे तो किब्ले की तरफ न मुँह करे और न पीठ

               

📒मिश्कात शरीफ सफह नः 42


इसके बरखिलाफ अवाम तो अवाम बाज खवास अहले इल्म तक मे इस बात का ख्याल नही रखा जाता है और पखाना पैशाब के वक्त आम तौर से लोग किब्ले की जानिब मुँह या पीठ कर लेते है। घरो मे लैटरीन बनाते वक्त मुसलमानो को ख़ास तौर से इस बात ख्याल रखना चाहिए कि बैठने की सीट इस तरह लगाई जाऐ कि इस्तिन्जा करने वाले का न मुँह काबे की तरफ हो और न पीठ हिन्दुस्तान मे लेटरीन की सीटे उत्तर-दक्खिन रखी जाये, पूरब और पश्चिम न रखी जाये। अगर किसी के यहां गलती से लैटरीन की सीट पूरब पश्चिम लगी हो तो हजार या पांच सौ रुपयों के खर्च की फिक्र न करे फौरन उसे उखडवा कर उत्तर-दक्खिन कराऐ। हो सकता है अल्लाह को उसकी यह नेकी पसंद आ जाए और उसकी बख्शिश हो जाऐ। दर असल अदब बेहद जरूरी है।बे अदबी से महरूमी आती है। खैर व बरकत उठ जाती हैं नहूसत इन्सान को घेर लेती हैं और अदब से खैर व बरकत आती हैं रहमत बरसती हैं जिन्दगी पुर सूकून और बा रौनक हो जाती है



(गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह नः 21/22) 



✍🏻हिन्दी ट्रांसलेट 👉🏻 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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