हैज व निफास वाली औरत फातिहा का खाना बना सकती है या नहीं



 ✿➺ सवाल:


क्या हैज़ वाली औरत नियाज़ का खाना पका सकती है, लोग कहते है नापाक औरत नियाज़ के लिए खाना नही पका सकती और क्या हदीस, पंजसुराह या कोई दीनी किताब उठा या पढ़ सकती है, अगर वो हिन्दी मे हो या अरबी मे जवाब इनायत फरमाए।


❀➺ जवाब


ऐसी औरत खाना पका सकती है फिर चाहै खाने के लिए हो या नियाज़ के लिए, अगर खाना नापाक हो जाएगा तो नियाज़ तो दूर खाया भी नही जा सकता, ये महैज़ शरीअत से बेखबरी है, और ऐसी (हैज़ वाली) औरत अपने वज़ीफ़े भी इसी हाल मे पढ़ सकती है, मगर कुरआन की नियत से कोई कुरआन की आयत पढ़ भी नही सकती मगर दुआ की नियत से पढ़ सकती है जैसे, खाते वक़्त बिस्मिल्लाह वगेरा वेसे बिस्मिल्लाह भी क़ुरआन है मगर, इसे दुआ के तोर पर पढ़ा जा सकता है इसी तरह शजरा के वज़ीफ़े भी पढ़े जा सकते है, मगर क़ुरआन का छूना और कुरआन की नियत से क़ुरआन या कोई सूरत, आयत पढ़ना हराम है।


जैसे की बहारे शरीअत जिल्द:1, सफा: 326 से है


जिस को नहाने की ज़रूरत हो (नापाक) उसको मस्जिद मे जाना, तवाफ़ करना, क़ुरआन को छूना, या वे छुए देख कर जुबानी पढ़ना, या किसी आयत का लिखना, या आयत का तावीज़ लिखना, या ऐसे तावीज़ छूना हराम है", इसके सिवाय हदीस या दीनी मसअलों की किताब पढ़ सकते है, हराम नही ना गुनाह, मगर मकरूह है, और उस किताब मे आयते कुरानी का वही हुक्म होगा जो ब्यान हुआ यानी उनका छूना हराम होगा


जैसा की: बहारे शरीअत जिल्द:1, सफा: 327 पर है

 इन सब (नापाक, बेवजु) को फिक़्ह, तफ़सीर और हदीस की किताबो का छूना मकरूह है, और अगर उनको कपड़े से छुआ तो हर्ज नही. इसी तरह इनको अज़ान का जवाब देना जाइज़ है।


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.53

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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