गूंगे के एजाब व क़ुबूल का क्या हुक्म है

 ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर 

                         




सवाल 


मोअज़्ज़ मुफतियान ए अहले सुन्नत व उलमा ए अहले मिल्लत के बारगाह में सवाल अर्ज़ है कि हिंदा एक गूंगी लड़की है उसका निकाह बकर से मुकर्रर हुआ है हुजूर से इल्तिजा है कि हिंदा तो बोल नहीं सकती तो निकाह के क़ुबूलियत के अल्फाज़ को कौन अदा करें गौर तलब है कि हिंदा की मां हयात से है हज़रत मुकम्मल जवाब से नवाजे़ ?


साईल मोहम्मद रहमत शाहिदी (कटिहार)


जवाब 


जब लड़की गूंगी हो तो निकाह के लिए एजाब के अल्फाज़ का इस्तिमाल नहीं होगा बल्कि इशारे से एजाब करवाएंगे


📚 जैसा कि फिक़्ह की मशहूर किताब बहारे शरीयत जिल्द १ हिस्सा हफ्तूम में सफा १३ (तखरीज शूदा) मैं है आक़िदैन गूंगे हो तो निकाह इशारे से होगा


📘 और रद्दूल मुहतार में है ⤵️


ينبغي أن لا يختلف فى انعقادبالاصحين اذا كان كل من الزوج والزوجة أخرس لان نكاحه كما قالوا ينعقدبالاشارة حيثت كانت معلومة 


📚 (बहवाला फतावा ए मरकज़ ए तरबियत इफ्ता जिल्द १ सफा ५३३)

📚 (फतावा ए अलिमीया जिल्द दोम सफा २७)


इस बिना पर निकाह इशारे से किया जाएगा और निकाह मुनअक़िद हो जाएगा


والله اعلم بالصواب


✍🏻 अज़ क़लम हज़रत मुफ्ती मोहम्मद रज़ा अमजदी साहब किबला मद्दज़िल आली वन्नूरानी (दारुल उलूम रिज़वीया बड़ा बरियारपुर मोतिहारी मशरक़ी चंपारण बिहार) साकिन (हरपुरवा बाजपट्टी सीतामढ़ी बिहार)


✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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