दीने महर माफ कराना इंद शरअ कैसा है ❓

 




सवाल


महर दैन बखशवाना कैसा है अगर औरत ना बखशे तो मर्द तो क्या करे मर्द लाचार हैं जवाब इनायत फरमाए ❓


साईल रहमत अली जम्मू कश्मीर



जवाब


महर औरत का हक़ है अगर उसने बखुशी उसने अपना हक़ माफ कर दिया तो माफ हो जाएगा और माफ ना करे तो औरत को इखतियार है कि वह मुतालबा करे और मर्द पर लाज़िम है कि महर अदा करे अगर अदा ना किया तो बाद ए विसाल भी औरत मर्द के माल से अपना महर ले सकती है और अगर औरत पहले विसाल कर जाए तो उनके वरसा को यह हक़ हासिल है की महर लें


अलबत्ता जब औरत माफ ना करे हर हाल में महर अदा करना पड़ेगा

बगैर अदा कीए कोई खत्म नहीं कर सकता


📚 (फतावा ए खलीलीया जिल्द 2 सफा 96)


और फतावा ए फैजूर रसूल में है कि 


औरत को मार की धमकी देकर माफ करा ए और औरत मार की खौफ से माफ कर दे तो माफ ना होगा


और अगर मरिज़ुल मौत में माफ कराया जैसा अवाम मे राइज हैं कि जब औरत मरने लगती है तो महर माफ कराते हैं तो ऐसी सूरत ए हाल में वरसा की इजाज़त के बगैर माफ ना होगा


और दैन महर अदा ना क्या ना बाद ए विसाल उसके माल से अदा किया गया तो वह हकुल इबाद में गिरफ्तार होगा


और दैन महर अदा ना करने के ताअल्लुक़ से हदीस ए मुबारका में है 


जो शख्स निकाह करें और नीयत यह है कि औरत को महर से कुछ ना देगा तो जिस रोज़ मरेगा ज़ानी मरेगा


📚 (फतावा ए फैजूर रसूल जिल्द 1 सफा 716)


सूरत ए मसउला मैं महर बख्शवाना जायज़ नहीं अलबत्ता औरत बखुशी माफ कर दे तो माफ हो जाएगा ना माफ करने की सूरत में हर हाल में महर अदा करना है इसलिए की महर औरत का हक़ है


✍🏼 अज़ क़लम हजरत अल्लामा व मौलाना मोहम्मद जाबिरुल क़ादरी रज़वी साहब किबला



✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट  मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


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