✿➺ सुवाल
ड्यूरिंग प्रेग्नेन्सी , बच्चे मे कितने दिनो के बाद जान आ जाती है , प्लीज़ रिप्लाइ मी अकॉरडिंग टू कुरआन रेफ्रेंस
❀➺ जवाब
कुरआने पाक मे तुम्हे पैदा करने वाला अल्लाह फरमाता है, (सुराह हज्ज, आयत : 05)
☞ हमने तुम्हे पैदा किया मिट्टी से और पानी की बूंद``` (मनी) से, फिर खून की फटक से फिर गोश्त की बोटी से, नक़्शा बनी और बे-बनी, ताकि हम तुम्हारे लिए अपनी निशानियाँ ज़ाहिर फरमाएँ, और``` हम ठहराए रखते हैं, माओ (मदर्स) के पेट मे जिसे चाहै, एक मुक़र्रर वक़्त तक
📔 तफ़सीर ए कुरतबी जिल्द: 6, सफा: 338-339 पर है
☞ हज़रत इब्ने उमर (रदियल्लाह अन्हु) से रिवायत है की
🩸नुतफा (मनी का क़तरा) जब औरत के पेट मे क़रार पाता है तो एक फिरिश्ता उसे अपनी हथेली पर लेता है, और अर्ज करता है या रब, मुज़क्कर या मुअन्नस (मेल या फीमेल) शक़ि या सा'आदत मंद (बदनसीब या खुश -नसीब)इसकी मुद्दत (उमर) और अस्र क्या है, किस ज़मीन मे मरेगा, उस फिरिश्ते से कहा जाता है, तू लोह ए महफूज़ की तरफ जा वहाँ तुझे इसका क़िस्सा मिल जाएगा, वह फिरिश्ता ऐसा ही करता है और उसका क़िस्सा पा लेता है, फिर वह क़तरा इंसान बन जाता है, अपनी तक़दीर मे लिखा रिज़क़ ख़ाता है
📔 इमाम अहमद बिन हंबल ने सही रिवायत से मुसनद अहमद हदीस 12157 पर नक़्ल किया
☞ जब नुतफे पर 42 राते गुज़रती है, तो अल्लाह उसकी तरफ एक फिरिश्ता भेजता है, जो उसकी सूरत बनाता है, उसके कान उसकी आँखें उसकी ज़िल्द उसकी हड्डियाँ
🌹 अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद से मरवी है फरमाया हुजूर ने
तुम मे से हर एक की पैदाइश उसकी माँ के पेट मे 40 दिन के मरहले से होती है, फिर 40 दिन वह खून की हैसियत से रहता है, फिर 40 दिन गोश्त के लोथड़े की शकल मे रहता है, फिर एक फिरिश्ता उसमे रूह डालता है, उसे 4 चीज़े लिखने का हुक्म दिया जाता है, रिज़क़, उमर, अमल, शक़ि या सा'आदत मंदी
📔 हदीस बुखारी और मुस्लिम मे ये रिवायत नक़ल है
तुम लोगो की पैदाइश माँ के पेट मे 40 दिन तक नुतफे की सूरत मे रहती है, फिर 40 दिन तक जमे हुए खून की सूरत मे, फिर 40 दिन गोश्त की बोटी की तरह (यानी करीब 4 माह कुछ दिन) फिर अल्लाह एक फिरिश्ता भेजता है, जो उसका रिज़क, उसकी उमर, उसका अमल, और उसका बद - बख़्त और स'आदत मंद होना लिखता है
📔 उलमा का इसमे कोई इकतिलाफ नही की रूह 120 दिन के बाद फूंकी जाती है, ये 4 महीने मुक़ाम्मल हो जाते है और 5 वे का अगाज़ होता है, जैसा की (हमने हदीस के ज़रिए ब्यान किया) और यही इद्दत का वक़्त होता है।
📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.28
✒️मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार
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