वुज़ू के मकरुहात

वुज़ू के मकरुहात

वुज़ू के लिए नापक जगह बैठना

नापाक जगह वुज़ू का पानी गिराना

आ जाए वुज़ू से लौटे वग़ैरा में कतरे टपकना। (मुह धोते वक़्त भरे हुए चुल्लू में उमुमन चेहरे से पानी के कतरे गिरते है इसका ख्याल रखिये)

किब्ले की तरफ थूक या बलगम डालना या कुल्ली करना

बे ज़रूरत दुन्या की बीते करना

ज्यादा पानी खर्च करना

इतना कम पानी खर्च करना की सुन्नत अदा न हो

मुह पर पानी मारना

मुह पर पानी डालते वक़्त फुकना

एक हाथ से मुह धोना, के रिफ़ाज़ व हुनुद का शीआर है

गले का मसह करना

उल्टे हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी चढ़ाना

सीधे हाथ से नाक साफ करना

तिन जदीद पानियों से तिन बार सर का मसह करना

धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना

होठ या आँखे ज़ोर से बंद करना और अगर कुछ सुखा रह गया तो वुज़ू ही न होगा

वुज़ु का हर सुन्नत का तर्क मकरूह है इसी तरह हर मकरूह का तर्क सुन्नत

📕बहारे शरीअत हिस्सा 01/300-301

📚हवाला नमाज़ के अहकाम सफा नः 16-17

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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