पाखाने में थूकना कैसा है.?


 पाखाने में थूकना कैसा है.?

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हुज़ूर आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रमा तहरीर फरमाते हैं.!

पाखाने में थूकने की मुमानिअ़त है (यानी मना है) कि मुसलमान का मुँह क़ुरआन-ए करीम का रास्ता है

इससे यह ज़िक्र-ए इलाही करता है तो उसका लुआ़ब (थूक) नापाक जगह नहीं होना चाहिए अल्बत्ता वहाँ की दीवार वगैरह जहाँ नजासत ना हो थूकने में हर्ज नहीं!

📕 फ़तावा रज़वियाह जिल्द 2 सफ़ा 157

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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मसअ्ला

मस्बूक़ और लाहिक़ पर तकबीर वाजिब है मगर जब खुद सलाम फेरें उस वक़्त कहें और इमाम के साथ क़ह ली तो नमाज़ फ़ासिद ना हुई और नमाज़ खत्म करने के बाद तकबीर का इआ़दा भी नहीं है

मसअ्ला

और दिनों में नमाज़ क़ज़ा हो गयी थी और अय्यामे तशरीक़ में उस की क़ज़ा पढ़ी तो तकबीर वाजिब नहीं, यूँ ही इन दिनों की नमाज़ें और दिनों में पढ़ें जब भी वाजिब नहीं। यूँ ही गुज़िश्ता साल के अय्यामे तशरीक़ की नमाज़ें इस साल के अय्यामे तशरीक़ में पढ़े जब भी वाजिब नहीं हाँ अगर इस साल के अय्यामे तशरीक़ की क़ज़ा नमाज़ें इसी साल के इन्हीं दिनों में जमाअ़त से पढ़े तो वाजिब है।

(बहारे शरीअत वगैरह)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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