औरत का बगैर महरम के सफर करना कैसा


सवाल औरत को शौहर और मेहरम के बग़ैर तीन दिन तक का सफ़र करना कैसा है

अल जवाब शौहर और मर्दे मेहरम के बग़ैर औरत को तीन दिन और उससे ज़्यादा का सफ़र करना दुरुस्त नहीं, बल्कि नाजाइज़ है, हां अगर तीन दिन से कम का सफ़र है, तो उस वक़्त जाइज़ है जबकि किसी नेक मर्द या बच्चा के साथ सफ़र करे

जैसा कि रद्दुल मोहतार में है

अरबी इबारत असल किताब में मुलाहिज़ा हो

📗 रद्दुल मोहतार जिल्द 9 सफ़ह 559, बाबुल इस्तबरअ्)

और बहारे शरिअत में है

औरत को बग़ैर शौहर या मेहरम के तीन दिन या ज़्यादा का सफ़र करना ना जाइज़ है, और तीन दिन से कम का सफ़र अगर किसी मर्दे सालेह या बच्चा के साथ करे तो जाइज़ है, बांदी के लिए भी यही हुक्म है

📘 बहारे शरिअत हिस्सा 16 सफ़ह 251)

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 160---161)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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