नजासते गलीज़ा और नजासते ख़फ़ीफ़ा क्या क्या हैं?


नजासते गलीज़ा और नजासते ख़फ़ीफ़ा क्या क्या हैं?

             जानवरों की जुगाली का हुक्म

हर चौपाए की जुगाली का वही हुक्म है जो उस के पाख़ाने का

(ऐज़न सफह नः 113 दुर्र मुख्तार, जिल्द 01 सफह नः 620)   

हैवानात का अपने चारे को मे'दे में से निकाल कर मुंह में दोबारा चबाना जुगाली कहलाता है जैसा कि

अक्सर गाय और ऊंट अपना मुंह चलाते रहते हैं और उन से साबुन की तरह झाग निकलता है, उन की (या'नी गाय और ऊंट की) जुगाली में निकलने वाला झाग वगैरा नजासते गलीज़ा है

                 पित्ते का हुक्म

हर जानवर के पित्ते का वोही हुक्म है जो उस के पेशाब का, हराम जानवरों का पित्ता नजासते गलीज़ा और हलाल का नजासते ख़फ़ीफ़ा है

(दुरे मुख्तार, जि. 01 सफह 620 बहारे शरीअत हिस्सा  02 सफह नः 113)

                  जानवरों की कै(उल्टी)

हर जानवर की कै उस के बीट का हुक्म रखती है या'नी जिस की बीट पाक जैसे चिड़िया या कबूतर उस की कै भी पाक है और जिस की नजासते ख़फ़ीफ़ा है जैसे बाज़ या कव्वा, उस की कै भी नजासते ख़फ़ीफ़ा। और जिस की नजासते गलीज़ा है जैसे बत (बतख) या मुर्गी, उस की कै भी नजासते गलीज़ा 

और कै(उल्टी) से मुराद वोह खाना पानी वगैरा है जो पोटे (या'नी मे'दे) से बाहर निकले कि जिस जानवर की बीट नापाक है उस का पोटा मा'दिने नजासत (नजासतों की जगह) है पोटे से जो चीज़ बाहर आएगी खुद नजिस (नापाक) होगी या नजिस से मिल कर आएगी बहर हाल मिस्ले बीट नजासत रखेगी, ख़फ़ीफ़ा में ख़फ़ीफ़ा, गलीज़ा में गलीज़ा, ब ख़िलाफ़ उस चीज़ के जो अभी पोटे तक न पहुंची थी कि निकल आई। म-सलन मुर्गी ने पानी पिया अभी गले ही में था कि उच्छू लगा और निकल गया येह पानी बीट का हुक्म न रखेगा (या'नी क्यूं कि उस ने नजासत में हुलूल नहीं किया (मिक्स न हुवा) और न ही नजासत की जगह से मिला) बल्कि इसे झूटे का हुक्म दिया जाएगा कि उस के मुंह से मिल कर आया है । उस जानवर का झूटा नजासते गलीज़ा या खफ़ीफ़ा या मश्कूक या मकरूह या ताहिर (या'नी पाक) जैसा होगा वैसा ही उस चीज़ को हुक्म दिया जाएगा जो मे'दे तक पहुंचने से पहले बाहर आई , जो मुर्गी छूटी फिरे उस का झूटा मकरूह है येह पानी भी मकरूह होगा और पोटे (मे'दे) में पहुंच कर आता तो नजासते गलीज़ा होता

(फतावा रजविय्या मुखर्रजा जिल्द 04 सफह 390 391)

1. पानी पीने के दौरान बा'ज़ अवकात गले में फन्दा सा लगता है और खांसी उठती है उस को उच्छू लगना कहते हैं

📚कपड़े पाक करने का तरीका सफ़ा. 08// 09

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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