मस्जिद में चिराग़ जलाने की मन्नत मानना कैसा

सवाल 

क्या मस्जिद में चराग जलाने या किसी पीर या वली से मन्नत मानना मना है ? 

अल जवाब  बिऔनिल मुल्किल अल वहाब 

नहीं। जैसे मस्जिद में चराग जलाने या ताक भरने या फलां बुजुर्ग के मजार पर चादर चढ़ाने या ग्यारहवीं शरीफ़ की नियाज़ (फ़ातिहा) दिलाने या सय्यदिना सरकार गौसुल आजम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का तोशा या सय्यदिना सरकार गरीब नवाज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नियाज़ या शाह अब्दुल हक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का तोशा करने या हज़रत जलाल बुख़ारी का कूडा करने या मुहर्रम की फ़ातिहा, या शरबत, या खिचड़ा, या सबील लगाने, या मीलाद शरीफ करने की मन्नत मानी तो यह शरी मन्नत नहीं मगर यह काम मना नहीं है, करे तो अच्छा है, अलबत्ता इसका ख्याल रहे कि कोई बात खिलाफे शरअ उस के साथ न मिलायें। और जो लोग इन बातों से मना करते हैं वह नेकियों से महरूम हैं

📕 (इस्लामी तालीम, सफा नं. 56)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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