क़ुरबानी पुल सिरात की सवारी है
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हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया इंसान बक़रह ईद के दिन कोई ऐसी नेकी नही करता जो अल्लाह को खून बहाने से ज़्यादा प्यारी हो, ये क़ुरबानी क़यामत में अपने सींगो, बालो और खुरो के साथ आएगी, और क़ुरबानी का खून ज़मीन पर गिरने से पहले अल्लाह के हां क़बूल छ्प जाता है। लिहाज़ा खुश दिली से क़ुरबानी करो
📚तिर्मिज़ी शरीफ ज़िल्द 03 सफ्ह नः 162
शेख अब्दुल हक़ मुहद्दिस दहलवी अलैरहमा फरमाते है क़ुरबानी अपने करने वाले के नेकियों के पल्ले में रखी जाएगी जिस से नेकियों का पलड़ा भारी होगा
हज़रते अल्लामा अली क़ारी अलैरहमा फरमाते है कि फिर उस के लिये सुवारि बनेगी जिस के ज़रिए ये शख्स ब आसानी पुल सिरात से गुज़रेगा और उस (जानवर) का हर उज़्व मालिक (यानी क़ुरबानी पेश करने वाला) के हर उज़्व के लिये जहन्नम से आज़ादी का फिदया बनेगा
मीरआतुल मनाजिह ज़िल्द 02 सफ्ह नः 375
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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