देवबंदी के हाथ का ज़बीहा का हुकुम

 ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर

                         



सवाल


हज़रत पूछना यह था कि क्या देवबंदी के हाथ का ज़बीहा जायज़ है हवाले के साथ जवाब इनायत फरमाएं


साईल मोहम्मद इमामुद्दीन निज़ामी (गोरखपुर)


जवाब


इमाम ए अहले सुन्नत हुजूर सैयदी सरकार ए आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु लिखते हैं ⤵️


गैर मुक़ल्लदिया पर बेवजह कसीरा इल्ज़ाम कुफ्र है उन में जो मुनकर ज़रूरीयाते दीन है वह तो बिल इजम्मा काफिर ही हैं वरना वो फूक़्हा ए किराम उन पर हुक्म कुफ्र फरमाते हैं और ज़बीहा का हलाल होना ना होना हुक्म फिकही है खुसूसन वही एहतियात की मानअ तकफिर हो यहां उनके जबिहा के खाने से मना करती है की जमहुर फुक़्हा ए किराम के तौर पर हराम व मुर्दार का खाना होगा दूसरे मक़ाम पर फरमाते हैं की देवबंदी का ज़बिहा मुर्दार है


📚 (फतावा रज़विया जिल्द 20 सफा 249)


✍🏼 अज़ क़लम हज़रत मौलाना मोहम्मद मासूम रज़ा नूरी साहब क़िबला (मंगलोर कर्नाटक इंडिया)


✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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