मेंबर शरीफ के लिए कितने ज़ीने होना ज़रूरी है ?

 




सवाल


 क्या फरमाते हैं उलमा ए दिन व मुफ्तियाने शरअ मतिन इस मसअला में की मेंबर में कितने ज़ीने होना चाहिए मेंबर कितना ऊंचा नीचा होना चाहिए मेंबर रसूल सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम के कितने ज़ीने थे मुकम्मल जवाब वजाहत के साथ इनायत फरमाए आपकी मेहरबानी होगी ❓


साईल मोहम्मद फरियाद रज़ा क़ादरी (बरैली शरीफ)



जवाब 


 यह बात ज़हन नशीं रहे कि मेंबर शरीफ के लिए शरअ ने सीढ़ीयों की तादाद मुक़र्रर नहीं की है कि इसकी गिनती पूरी करना ज़रूरी हो जमाअत की कसरत का ख्याल करके जितनी सीढ़ीयां चाहें बनाएं मेंबर ए रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम तीन सीढ़ियों पर मुशतमिल था जैसा कि हदीस शरीफ में है 


فعل ھذہ الثلث درجات ثم امر بھا رسول اللہ ﷺ فوضعت ھذالموضع


इमाम नैवी अलैहिर्रहमा इस हदीस पाक के तेहत फरमाया है 


فیہ تصریح بان منبر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کان ثلث درجات


 फतावा रज़वीया शरीफ में है कि मेंबर खुद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने बनवाया और उस पर खुत्बा फरमाया मेंबरे अक़द्दस के तीन ज़ीने थे अलावा ऊपर के तख्ते के जिन पर बैठते थे


दुर्रे मुख्तार में है कि 


منبرہٗ صلی اللہ تعالی علیہ وسلم کان ثلث درج غیر المسماتہ بالمستراح


हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम दर्ज बाला पर खुत्बा फरमाया करते थे, हज़रत सैयदना सिद्दीक़े अकबर रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू ने दूसरे पर पढ़ा और हज़रत सैयदना उमर फारूक़े आज़म रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू ने तीसरे पर और जब हज़रत जुन्नुरैन रज़ि अल्लाहू अन्हू का ज़माना आया फिर औवल पर खुत्बा पढ़ाया सबब पूछा गया तो आपने फरमाया अगर दूसरे पर पढ़ता तो लोग गुमान करते थे कि मैं हज़रत अबू बकर सिद्दीक (रज़ि अल्लाहू अन्हू) का हमसर हूं और तीसरे पर तो वहम होता कि हज़रत उमर फारूक़ ए आज़म (रज़ि अल्लाहू अन्ह) के बराबर हूं लिहाज़ा वहां पढ़ा है जहां यह एहतमाल मुतसव्वुर ही नही अस्ल औवल दर्जे पर क़ियाम है


 मेंबर की बुलंदी से अस्ल मक़सद यह है कि सब हाज़रीन खतीब को देखें और उनकी आवाज़ सुनें तीन ज़ीने में भी अगर पूरी ना हो तो ज़ीनें ज़्यादा करने का खुद ही इख्तियार है और ज़्यादती ताक़ अदद में हो, और यह तसव्वुर करना कि हम फलां सीढ़ी पर खड़े होंगे तो किसी ना किसी की मुखालिफत तौहीन लाज़िम आएगी यह गलत है यहां मुखालिफत तौहीन का कोई तसव्वुर नहीं है बल्कि जहां खड़े हो जाएं बलिहाज़ जमाअत कसीर के किसी ना किसी की सनद पाई जाएगी


📚 (फतावा रज़विया क़दीम जिल्द ३ सफा ७००)

                एैसा ही

📚 (फतावा अमजदीया जिल्द १ सफा १८८) में भी है


वल्लाहो व रसूलहु आलमो बिस्सवाब


✍🏼 अज़ क़लम 🌹 आले मुस्तफा ओवैसी (पीलीभीत शरीफ यूपी)



✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट 🌹 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


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