मजबूरी में फिक्स डेपॉज़िट लेना कैसा है

 


✿➺ सुवाल


अगर किसी ख़ातून के शौहर का इंतेक़ाल हो गया हो और उसके बच्चे इस्लाम से बालिग हों मगर दुनियावी तौर पर नही और वो पढ़ रहै हों और उस ख़ातून का कोई ज़रिया ना हो पैसे का तो उसपे फिक्स डेपॉज़िट और बैंक का इंटेरेस्ट लेना हराम होगा या नही ?


❀➺ जवाब


जाइज़ होगा, और ये खास इस औरत के लिए ही नही बल्कि हिंद के बैंक से जो एक्सट्रा रकम मिलती है वो जाइज़ है. वो सूद नहीं है, (जबकि बैंक कुफ्फार का हो)


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.50

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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