लुक़्मा देने का क्या मतलब है?

    

🔶 लुक़्मा देने का क्या मतलब है? 🔶

लुक्मा देने का मतलब येह है कि अस्ल में लुक्मा देना मुक्तदी की तरफ से इमाम को कुछ सिखाना और इमाम का मुक्तदी से सीखना है। हालते नमाज़ सीखने और सिखाने का मौक़ नहीं बल्कि येह उमूर नमाज़ के फ़ासिद हो जाने का बाइस(की वजह) हैं मगर ज़रूरत की जगह पर या उन मकामात पर जहां लुक्मा देने के बारे में नस वारिद है शरीअत ने इस की इजाज़त दी और ज़रूरत और नस्स में बयान कर्दा जगह की हद तक नमाज़ में लुक्मा देने और लेने वाले पर से नमाज़ टूटने का हुक्म मुआफ़ रखा बदाएउस्सनाएअ में है
जब इमाम को कुछ भूल वाकेअ हो तो मुक्तदी के लुक्मा देने में कोई हरज नहीं क्यूं कि इस का इरादा नमाज़ की इस्लाह का है इस लिये हाजत की बिना पर इस के लुक्मा देने पर कलाम होने का हुक्म साकित कर दिया गया
(जि.1 स.235)

लेकिन जहां कहीं बे महल (यानी जहां इजाजत नहीं थी वहां) लुक्मा दिया गया तो नमाज़ टूटने का अस्ल हुक्म लौट आएगा। म-सलन जब इमाम को वापस आने की इजाज़त न हो तो ऐसे मौक पर लुक्मा देना बे महल है और किसी ने लुक्मा दिया तो उस की नमाज़ गई जैसा कि इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत शाह इमाम अहमद रज़ा
खान इर्शाद फ़रमाते हैं हमारे इमाम के नज़दीक अस्ल इन मसाइल में येह है कि बताना अगर्चे लफ़्ज़न किराअत या ज़िक्र म-सलन तस्बीह और तक्बीर है और येह सब अज्ज़ा व अज्कारे नमाज़ से हैं मगर (येह बताना) मअन कलाम है कि इस का हासिल इमाम से खिताब करना और उसे सिखाना होता है या'नी तू भूला इस के बाद तुझे येह करना चाहिये पर ज़ाहिर कि इस से येही गरज़ मुराद होती है और सामे को भी येही माना महूम तो उस के कलाम होने में क्या शक रहा अगर्चे सूरतन कुरआन या ज़िक्र व लिहाज़ा अगर नमाज़ में किसी यहया नामी को ख़िताब की निय्यत से येह आयते करीमा ييحي خذ الكتاب بقوة  पढ़ी बिल इत्तिफ़ाक़ नमाज़ जाती रही हालां कि वोह हक़ीक़तन कुरआन है इस बिना पर कियास येह था कि मुत्लकन बताना अगचे बर महल हो मुफ़सिदे नमाज़ हो कि जब वोह ब लिहाजे माना कलाम ठहरा तो बहर हाल इफ्सादे नमाज़ करेगा (यानी नमाज़ तोड़ देगा) मगर हाजते इस्लाहे नमाज़ के वक्त या जहां खास नस्स वारिद है हमारे अइम्मा ने इस कियास को तर्क फरमाया ब हुक्मे इस्तिहसान जिस के आला वुजूह से नस्स व ज़रूरत है जवाज़ का हुक्म दिया
(फतावा रिज़विय्या स. 258 जि. 07 रजा फाउन्डेशन लाहोर)
 मजकूरा बाला ज़ाबिते पर कसीर मसाइल का इस्तिख़राज होता है जैसा कि सुवाल जवाब की सूरत में आने वाले मसाइल से बखूबी मालूम हो जाएगा

📚 नमाज़ में लुक़्मा देने के मसाइल स. 27 28

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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