रोजा हजारी और रोजा लख्खी का क्या हुक्म है


सवाल रजब की 26 और 27 तारीख़ को ज़्यादा तर औरतें रोज़ा रखती हैं पहले को हज़ारी रोज़ा और दूसरे को लक्खी रोज़ा कहती हैं यानी पहले में हज़ार रोज़े का सवाब और दूसरे में एक लाख का सवाब बताती हैं इन रोज़ों के रखने में कोई हर्ज तो नहीं है और ये जो सवाब के मुतअल्लिक़ मशहूर है इसका कोई सुबूत है रहनुमाई फरमाएं ? 

जवाब रोज़ा रखने में कोई हर्ज नहीं मगर ये जो सवाब के मुतअल्लिक़ मशहूर है कि इतना ही सवाब मिलता है इसका कोई सुबूत नहीं 

📚बहारे शरीयत हिस्सा 16 सफ़ह 247

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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