महफ़िल ए मीलाद मै ज़िक्रे शहादत करना ?


महफ़िल ए मीलाद मै ज़िक्रे शहादत करना ?

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कुछ लोग मह्फिले मीलाद मे सय्यिद्ना इमाम हुसैन रदिअल्लहो अन्हो और आपके भाइयो भतीजो भान्जो कि शहादत के वक़ियात बयान कर देते है ,हालान्की ये मुनासीब नहीं है 

मह्फिले मीलाद रसूलुल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम कि विलादत कि ख़ुशी की महफिल है ,इसमे ऐसे वाक़ियात नही बयान करने चाहिये जिनको सुनकर रन्ज व् मलाल गम और दुख हो 

आ'ला हज़रत इमाम अहमद रज़ा इमा अह्ले सुन्नत फरमाते है उल्मा इक्राम ने मह्फिले मीलाद शरिफ मे ज़िक्रे शहादत से मना फरमाया है कि वह मजलिसे सुरुर है ज़िक्रे हुज़्न मुनासिब नही


(📖अह्कामे शरीयत,हिस्सा2, सफह 145)

📗 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.108)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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