ख़ुत्बे की आज़ान मस्जिद के अंदर देना कैसा है❓


 ख़ुत्बे की आज़ान मस्जिद के अंदर देना कैसा है❓

❈•───islami────❈───malumat────•❈

फिक़्ह हनफी की तक़रीबन सारी किताबों में यह बात साफ़ लिखी हुई है कि कोई आज़ान मस्जिद में ना दी जाए। खुद हदीस शरीफ से भी यही साबित है। और किसी हदीस और किसी इस्लामी मौअतबरो मुस्तनद किताब में यह नहीं है कि कोई आज़ान मस्जिद के अंदर दी जाए। मगर फिर भी बाअज़ जगह कुछ लोग जुमे की दूसरी आज़ान मस्जिद के अंदर इमाम के सामने खड़े होकर पढ़ते हैं, और सुन्नत पर अमल करने से महरूम रहते हैं, और महज़ ज़िद और हठधर्मी की बुनियाद पर रसूले खुदा (सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम) की प्यारी-प्यारी सुन्नत छोड़ देते हैं, और बाअज़ जगह पर तो लाउडस्पीकर मस्जिद के अंदर रखकर पांचों वक्त आज़ान पढ़ने लगे हैं इस तरह आज़ान देने वाले और दिलवाने वाले सब गुनहगार हैं। फतावा आलमगीरी में है ला यूअ ज़नू फिल् मस्जिद मस्जिद में कोई आज़ान ना दी जाए।

📚 (फ़तावा आलमगीरी, बाबुल अज़ान फ़स्ल 02 सफ़्हा 55)


📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न: 33)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने